दो शब्द
दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
Wednesday, 16 October 2019
यह अबूझ भाषा - राकेश रोहित
जो कहना है
नहीं कहो
फिर कहो क्या तुम मुझे प्यार करते हो
फूलों से सीखी है मैंने
यह अबूझ भाषा
चुप रह कर भी बोल सकती है
पंखुड़ी प्यार में!
Tuesday, 15 October 2019
हलन्त की तरह - राकेश रोहित
मैं हलन्त की तरह अर्द्ध उच्चरित रहा
मैं फूल की तरह झर गया हूँ
मुझे स्वप्न की तरह भूल गयी हो तुम
मैंने दृश्य की तरह तुम्हें स्मृति में समेट लिया है
तुम्हें पुकारती हुई एक बच्ची आती है
उसकी हँसी तुमसे कितनी मिलती है!
Newer Posts
Older Posts
Home
Subscribe to:
Posts (Atom)