Friday, 30 October 2020

समंदर धरती का मायका है - राकेश रोहित

समंदर धरती का मायका है 
मायके का संदेश लेकर 
आते हैं बादल
हुलसती है धरती 
और हरी हो जाती है।

Wednesday, 16 October 2019

यह अबूझ भाषा - राकेश रोहित

जो कहना है 
नहीं कहो
फिर कहो क्या तुम मुझे प्यार करते हो

फूलों से सीखी है मैंने 
यह अबूझ भाषा 
चुप रह कर भी बोल सकती है
पंखुड़ी प्यार में!

Tuesday, 15 October 2019

हलन्त की तरह - राकेश रोहित

मैं हलन्त की तरह अर्द्ध उच्चरित रहा 
मैं फूल की तरह झर गया हूँ 
मुझे स्वप्न की तरह भूल गयी हो तुम 
मैंने दृश्य की तरह तुम्हें स्मृति में समेट लिया है

तुम्हें पुकारती हुई एक बच्ची आती है 
उसकी हँसी तुमसे कितनी मिलती है!

Saturday, 17 November 2018

Friday, 2 November 2018

समन्दर जानता है - राकेश रोहित

वह जब भी समन्दर के किनारे गयी
उसने मुड़ कर नहीं देखा
एक तूफान जो उसके अंदर है
उसे सिर्फ समन्दर जानता है।

Friday, 5 October 2018

जब नदी बह जाती है - राकेश रोहित

"जब नदी बह जाती है
तब क्या रह जाता है?"
मैंने उससे पूछा।

उसने कहा,
"नदी!"
और अपनी आंखें बंद कर ली।

Saturday, 14 April 2018

प्यार अनंत - राकेश रोहित

जो हवा मेरी सांसों में भरी है
उससे मैं उसका पता पूछता हूँ
कवि की अज्ञानता की सीमा नहीं
पर उसका प्यार अनंत है।

Monday, 15 January 2018

नदी से एक स्त्री की बातचीत- राकेश रोहित

नदी किनारे
गीली मिट्टी पर
उसने पाँच बार सिंदूर लगाया
फिर हँस कर उसने देखा नदी को
और नदी सुहागन हो गयी।

Saturday, 22 July 2017

बारिश में - राकेश रोहित

बारिश में एक साथ भीगने की कल्पना थी मन में
इसलिए तुम्हें प्यार किया मैंने।

मैं धरती पर था
इसलिए प्यार करती रही धरती मुझे
...और कभी भीग नहीं पाया मैं
धरती के संग बारिशों में!

Saturday, 27 May 2017

उदास चेहरा - राकेश रोहित

शमा पर सौ पर्दे लगे हैं
और कविता के रास्ते में
आतिशबाजियां हैं।
प्रेम हमेशा पीछे रह जाता है
बस चमकता है
कविता का उदास चेहरा।

Monday, 22 May 2017

तुम्हारा नाम - राकेश रोहित

यह कोरा क्षण है
खाली सफों पर
तुम्हारा नाम लिखना है
और जुल्म यह
कि कोई पढ़ ले
इससे पहले उसे मिटाना है।

Saturday, 20 May 2017

बारिश में रंग - राकेश रोहित

तुमने अपने नाम में
छुपा लिया है मेरे नाम का रंग
अब अगर बारिश में भीग जायें हम
तो यह दुनिया सतरंगी हो जायेगी।