दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
नदी किनारे गीली मिट्टी पर उसने पाँच बार सिंदूर लगाया फिर हँस कर उसने देखा नदी को और नदी सुहागन हो गयी।
लाजवाब शब्द ... नारी ख़ुद भी गहरी नदी है
बहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!
सुंदर
अप्रतिम, राकेश रोहित जी..कविता के साथ-साथ इमेज भी लाजवाब है.
This comment has been removed by the author.
लाजवाब शब्द ... नारी ख़ुद भी गहरी नदी है
ReplyDeleteबहुत शुक्रिया आपका! हार्दिक धन्यवाद!
ReplyDeleteसुंदर
ReplyDeleteअप्रतिम, राकेश रोहित जी..कविता के साथ-साथ इमेज भी लाजवाब है.
ReplyDeleteThis comment has been removed by the author.
ReplyDelete