Tuesday, 20 October 2015

सौ आँखें और एक सपना - राकेश रोहित

तुम्हारी सौ आँखों में
मेरा एक सपना नहीं समाता
मैं जिसे देखता हूँ
तो बची रह जाती है
दुनिया में तुम्हारी जगह!

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल बुधवार (21-10-2015) को "आगमन और प्रस्थान की परम्परा" (चर्चा अंक-2136) पर भी होगी।
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    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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