दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
प्रेम की प्रतीक्षा में सौ फूल झरे तब उसने मुड़ कर देखा
फिर सौ मौसम बदले वह नहीं बदली।
वह जब भी समन्दर के किनारे गयी उसने मुड़ कर नहीं देखा एक तूफान जो उसके अंदर है उसे सिर्फ समन्दर जानता है।