Saturday 17 November 2018

Friday 2 November 2018

समन्दर जानता है - राकेश रोहित

वह जब भी समन्दर के किनारे गयी
उसने मुड़ कर नहीं देखा
एक तूफान जो उसके अंदर है
उसे सिर्फ समन्दर जानता है।

Friday 5 October 2018

जब नदी बह जाती है - राकेश रोहित

"जब नदी बह जाती है
तब क्या रह जाता है?"
मैंने उससे पूछा।

उसने कहा,
"नदी!"
और अपनी आंखें बंद कर ली।

Saturday 14 April 2018

प्यार अनंत - राकेश रोहित

जो हवा मेरी सांसों में भरी है
उससे मैं उसका पता पूछता हूँ
कवि की अज्ञानता की सीमा नहीं
पर उसका प्यार अनंत है।

Monday 15 January 2018

नदी से एक स्त्री की बातचीत- राकेश रोहित

नदी किनारे
गीली मिट्टी पर
उसने पाँच बार सिंदूर लगाया
फिर हँस कर उसने देखा नदी को
और नदी सुहागन हो गयी।