दो शब्द
दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
Friday 30 October 2020
Wednesday 16 October 2019
यह अबूझ भाषा - राकेश रोहित
Tuesday 15 October 2019
हलन्त की तरह - राकेश रोहित
Saturday 17 November 2018
Friday 2 November 2018
समन्दर जानता है - राकेश रोहित
वह जब भी समन्दर के किनारे गयी
उसने मुड़ कर नहीं देखा
एक तूफान जो उसके अंदर है
उसे सिर्फ समन्दर जानता है।
Friday 5 October 2018
Saturday 14 April 2018
प्यार अनंत - राकेश रोहित
जो हवा मेरी सांसों में भरी है
उससे मैं उसका पता पूछता हूँ
कवि की अज्ञानता की सीमा नहीं
पर उसका प्यार अनंत है।
Monday 15 January 2018
नदी से एक स्त्री की बातचीत- राकेश रोहित
नदी किनारे
गीली मिट्टी पर
उसने पाँच बार सिंदूर लगाया
फिर हँस कर उसने देखा नदी को
और नदी सुहागन हो गयी।
Saturday 22 July 2017
बारिश में - राकेश रोहित
बारिश में एक साथ भीगने की कल्पना थी मन में
इसलिए तुम्हें प्यार किया मैंने।
मैं धरती पर था
इसलिए प्यार करती रही धरती मुझे
...और कभी भीग नहीं पाया मैं
धरती के संग बारिशों में!
Saturday 27 May 2017
उदास चेहरा - राकेश रोहित
शमा पर सौ पर्दे लगे हैं
और कविता के रास्ते में
आतिशबाजियां हैं।
प्रेम हमेशा पीछे रह जाता है
बस चमकता है
कविता का उदास चेहरा।
Monday 22 May 2017
तुम्हारा नाम - राकेश रोहित
यह कोरा क्षण है
खाली सफों पर
तुम्हारा नाम लिखना है
और जुल्म यह
कि कोई पढ़ ले
इससे पहले उसे मिटाना है।
Saturday 20 May 2017
बारिश में रंग - राकेश रोहित
तुमने अपने नाम में
छुपा लिया है मेरे नाम का रंग
अब अगर बारिश में भीग जायें हम
तो यह दुनिया सतरंगी हो जायेगी।