दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
धरती की तरह सह जाता नदी की तरह बह जाता चिड़िया की तरह कह जाता तो दुख की तरह रह जाता मैं भी मन में और जीवन में!
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-09-2016) को "शुभम् करोति कल्याणम्" (चर्चा अंक-2453) पर भी होगी। --हार्दिक शुभकामनाओं के साथसादर...!डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (02-09-2016) को "शुभम् करोति कल्याणम्" (चर्चा अंक-2453) पर भी होगी।
ReplyDelete--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
बहुत बढ़िया।
ReplyDelete