Saturday, 14 November 2015

जब घूम रही थी धरती - राकेश रोहित

बच्चा गोल- गोल घूम रहा था
और उसके साथ चल रही थी धरती
फिर वह स्थिर हुआ
और घूमने लगी धरती!

वह हँसा
और जोर से तालियां बजाने लगा
दूरदर्शन देखने में तल्लीन
एक परिवार ने झिड़का उसे-
चुप रहो!

वे बदलते दृश्यों के निस्पंद गवाह थे
जब घूम रही थी धरती
वे पृथ्वी पर नहीं थे!

2 comments:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् की चर्चा कल रविवार (15-11-2015) को "बच्चे सभ्यता के शिक्षक होते हैं" (चर्चा अंक-2161)    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    बालदिवस की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक

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  2. वाह, क्या बात है

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