Saturday, 27 October 2012

यूँ ही नहीं - राकेश रोहित

एक फूल खिला यूँ ही, 
एक बच्चा मुस्कराया यूँ ही 
एक मनुष्य घर से निकला, 
गुनगुनाया यूँ ही.

यूँ ही नहीं बड़बड़ाता है 
नरक का बादशाह -
इस दुनिया के नष्ट होने में 
देर है कितनी?

यूँ ही नहीं / राकेश रोहित 

सहरा में नदी - राकेश रोहित

जो बात कही गयी है 
वह फिर कहता हूँ. 
मैं उम्मीद की नदी हूँ 
मैं सहरा में बहता हूँ.

सहरा में नदी / राकेश रोहित 

Monday, 22 October 2012

भाषा, दुःख और खुशी - राकेश रोहित

आप कहें और वो समझें 
यह भाषा है!

आप कहें और वो ना समझें 
यह दुःख है!!

...और आपके कहे बिना 
वो समझ जाएँ
यही खुशी है!!! 


भाषा, दुःख और खुशी / राकेश रोहित 

कविता है इसलिए - राकेश रोहित

कविता है 
इसलिए बचे हुए हैं 
कुछ लोग 
वरना वे नहीं होते, 
नहीं होते, 
नहीं होते!

कविता है इसलिए / राकेश रोहित 

याद - राकेश रोहित

उसने हँसकर देखा मुझे 
और रो पड़ी...
यह बारिशों के  
पहले का मौसम था
और फिर बारिश हुई.

याद / राकेश रोहित 

Sunday, 21 October 2012

नींद में हँसी - राकेश रोहित

नष्ट होनी ही वाली थी यह दुनिया 
फिर इसे बचाने का जिम्मा 
बच्चों की हँसी को सौंपा गया 
और तब से बच्चे 
नींद में भी हँसते हैं.

नींद में हँसी / राकेश रोहित 

तुम्हारी आँखें - राकेश रोहित

सुन्दर है तुम्हारी आँखें 
तुम्हारी आँखों से देखूं 
तो मेरी दुनिया भी 
सुन्दर लगे है...!


तुम्हारी आँखें / राकेश रोहित 

Saturday, 20 October 2012

खुशी की पेन्सिल - राकेश रोहित

एक बार एक बच्चे ने मुझसे 
बड़ा मासूम सवाल किया - 
"जिस पेन्सिल से हम 
खुशी लिख सकते है 
उससे हम 
दुःख क्यों लिखते हैं?"

खुशी की पेन्सिल / राकेश रोहित 

तुम्हारा इंतज़ार - राकेश रोहित

मैं थक गया हूँ 
तुम्हारा इंतज़ार करके 
तुमने कहा था न
कि तुम आओगी ?

तुम्हारा इंतज़ार / राकेश रोहित 

तुम्हारी याद - राकेश रोहित

...सारी रात, 
तुम्हारी याद 
आयी तो मैंने सोचा- 
तुम्हारी याद से पहले 
दुनिया में क्या था...?

तुम्हारी याद / राकेश रोहित 

Friday, 19 October 2012

हरसिंगार और तुम्हारा इंतज़ार - राकेश रोहित

नदी के उस किनारे पर 
जहाँ सूरज सुनहरे चादर में मुँह छिपाकर सो गया 
और खामोश बहती हवा में 
तुम्हारी हँसी खिलखिलाकर फैल गयी 
वहीं हरसिंगार के पेड़ के नीचे 
एक नाव  तुम्हारा इंतज़ार करती है...!!

हरसिंगार और तुम्हारा इंतज़ार / राकेश रोहित 

Thursday, 18 October 2012

दो शब्द - राकेश रोहित

दो ही शब्द हैं दुनिया में!
एक जो तुम कहती हो, 
एक जो मैं लिखता हूँ !!

दो ही शब्द हैं दुनिया में / राकेश रोहित