दो ही शब्द हैं दुनिया में!
एक जो तुम कहती हो,
एक जो मैं लिखता हूँ!!
Saturday, 27 October 2012
यूँ ही नहीं - राकेश रोहित
एक फूल खिला यूँ ही, एक बच्चा मुस्कराया यूँ ही एक मनुष्य घर से निकला, गुनगुनाया यूँ ही. यूँ ही नहीं बड़बड़ाता है नरक का बादशाह - इस दुनिया के नष्ट होने में देर है कितनी?
No comments:
Post a Comment