दो शब्द
दो ही शब्द हैं दुनिया में! एक जो तुम कहती हो, एक जो मैं लिखता हूँ!!
Saturday, 2 February 2013
जड़ की ओर - राकेश रोहित
लौटना चाहता हूँ वहाँ
जहाँ से चला नहीं हूँ,
जैसे फुनगी पर खिलती है पत्ती
और जड़ की ओर लौटना चाहती है.
जड़ की ओर / राकेश रोहित
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