Saturday, 22 July 2017

बारिश में - राकेश रोहित

बारिश में एक साथ भीगने की कल्पना थी मन में
इसलिए तुम्हें प्यार किया मैंने।

मैं धरती पर था
इसलिए प्यार करती रही धरती मुझे
...और कभी भीग नहीं पाया मैं
धरती के संग बारिशों में!

Saturday, 27 May 2017

उदास चेहरा - राकेश रोहित

शमा पर सौ पर्दे लगे हैं
और कविता के रास्ते में
आतिशबाजियां हैं।
प्रेम हमेशा पीछे रह जाता है
बस चमकता है
कविता का उदास चेहरा।

Monday, 22 May 2017

तुम्हारा नाम - राकेश रोहित

यह कोरा क्षण है
खाली सफों पर
तुम्हारा नाम लिखना है
और जुल्म यह
कि कोई पढ़ ले
इससे पहले उसे मिटाना है।

Saturday, 20 May 2017

बारिश में रंग - राकेश रोहित

तुमने अपने नाम में
छुपा लिया है मेरे नाम का रंग
अब अगर बारिश में भीग जायें हम
तो यह दुनिया सतरंगी हो जायेगी।

Sunday, 2 April 2017

पुकार - राकेश रोहित

नदियों ने सौ बार कहा है
वे चाहती हैं तुम्हें
मुझे एक बार कहने के लिए भी
नदी के एकांत में जाना पड़ता है।

यह जो नदी की तरह
तुम बहती रहती हो
इस मरु थल में
क्या तुमने किसी पुकार पर
कभी मुड़ कर नहीं देखा!

Sunday, 12 February 2017

वसंत काल में एक इच्छा - राकेश रोहित

अंधेरी धरती से पीला रंग निकालकर
जहाँ उछाह से उमगते हों
सरसों के फूल
वहीं खड़े होकर
मैं चूमना चाहता हूँ
तुम्हारे होठों पर चमकते वसंत को!