Friday, 31 July 2015

तुम्हारे नाम का शब्द - राकेश रोहित

जबकि तुम मुझे भूल गयी हो
डायरी के किसी पन्ने में
समय अब भी ठहरा हुआ है।

कल चाँद के पास
अकेला चमक रहा था तुम्हारे नाम का शब्द
तुम पढ़ना
मैं उसे कविता में उतार लाया हूँ।

1 comment:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शनिवार (01-08-2015) को "गुरुओं को कृतज्ञभाव से प्रणाम" {चर्चा अंक-2054} पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
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    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    गुरू पूर्णिमा तथा मुंशी प्रेमचन्द की
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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