जहाँ छूट जाती है प्रार्थना की लय
वहाँ से उठता है उसका स्वर
कोरस से अलग गूंजती है उसकी आवाज
वह खुले दरवाजे पर खड़ी है
और खिड़कियों के बाहर बदल रहा है दृश्य
वह धीरे से शामिल हो गयी है इस दृश्य में
नारंगी फूल जो हँस रहा है उन्मुक्त हँसी
वह विनय की मुद्रा में नहीं है।
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